शनिवार, 6 दिसंबर 2008

कुछ शेर बनाए

बहुत दिनों के बाद कुछ खाली समय मिला । इधर चुनाव थे ,तो उधर कालेज मे परीक्षा की तयारी चल रही है । कुछ भाग दौड़ , सबकुछ यूँ ही --- कुछ शेर बनाई हैं -गौर फरमाए
गफलत मे हमने चार दिन की जिंदगानी की
अपने ही आपसे ये कैसी बेईमानी की
बचपन से जिस समय का हमें इंतजार था
बे फिजूल हमने अपनी ये जवानी की